गोभी का फूल – केशव चंद्र शर्मा 

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गोभी का फूल - केशव चंद्र शर्मा 

Gobhi Ka Phool by Keshav Chandra Sharma

important question Answer in Hindi I महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी में

गोभी का फूल - केशव चंद्र शर्मा 

प्रश्न 1.) बाबू हनुमान प्रसाद के स्वभाव पर अपने विचार बताइए।

उत्तर – बाबू हनुमान प्रसाद को सब्जियों का बहुत शौक था। यह सुबह-सुबह सब्जी मंडी में जाते थे और अच्छी तरह से सब्जियां छाँट कर लेते थे। हरे धनिए की गड्डी 1 पैसे या दो पैसे की तीन लेना, शलजम को पत्ते तुड़वा कर देने का आग्रह करना, आलू छाँठ छाँठ कर लेना। सड़ा कुम्हड़ा दूसरे दिन ‌वापस करना । यह सब उनकी आदतें थी। सब लोग उन्हें बुलते तो थे लेकिन कोई नहीं चाहता था कि सुबह-सुबह वह उनकी दुकान पर आए।

प्रश्न 2.)बाबू हनुमान प्रसाद के ‘ सब्जी ज्ञान’ पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर — बाबू हनुमान प्रसाद सब्जियों में कौन-कौन सा विटामिन होती है, कौन सी सब्जी किसके लिए आवश्यक है यह सब ज्ञान देते थेl  जैसे कि किसी को पता ही ना हो अपने लिए क्या जरूरी है ? जैसे कि उन्होंने सब्जियों में मास्टरी की हो।

प्रश्न 3.) अब न चूक चौहान वाले प्रसंग के बारे में बताइएl

उत्तर — लेखक साहब गोभी के फूल लेकर रेल गाड़ी का इंतजार कर रहे थे। गाड़ी आई । डिब्बे भरे हुए थे । मारामारी का दृश्य चल रहा था। धीरे-धीरे लोग पानी लेने के लिए डिब्बे से बाहर निकले । लेखक को कुली ने  अब न चुको  चौहान की तरह  ललकारा। वे भी भीतर घुसने लगे । भीतर वाले लोगों ने  लेखक से कहा कि दूसरे डब्बे में जगह खाली है , उधर चले जाएं लेकिन लेखक अड़े रहे l 

प्रश्न 4.)गोभी का झाबा कैसे बिखर गया?

उत्तर – जब लोग पानी पीने के बहाने प्लेटफार्म से नीचे उतर गए तब लेखक जल्दी से डिब्बे में चढ़ गए । उनके कुली ने उनका झाबा डिब्बे के अंदर चढ़ाने की कोशिश की। लेकिन झाबा पूरी तरह से अंदर ना आ सका। गोभी के फूल धीरे धीरे कर के भीतर आ रहे थे। आखिर इसमें दो फूल प्लेटफार्म से खिसक कर डिब्बे के नीचे रेल पटरी पर पहुंच गए। इस तरह से झाबा बिखर गया।

प्रश्न 5.)इलाहाबाद स्टेशन जाने के बाद लेखक ने क्या किया?

जब तक इलाहाबाद स्टेशन ना आ गया लेखक अपने गोभी के झाबे को जी भर देख भी नहीं पाया। गोभी के गड्ढे हुए पत्तेदार फूल  जनता की इतनी लाते खा चुके थे कि हारे हुए उम्मीदवार की तरह उन्हें पहचानना कठिन हो रहा था।

प्रश्न 5.) सब्जी मंडी में कोई भी बाबू हनुमान प्रसाद को अपने दुकान पर बुलाना नहीं चाहता था? क्यों?

हनुमान प्रसाद जब किसी भी दुकान पर जाते थे तब वह धनिए की गड्डी 1 पैसे की एक या दो पैसे की तीन लेते थे, शलजम को पत्ते तोड़  दिलवाने का आग्रह करते थे। आलू छाँट कर माँगना । सड़ा कुम्हड़ा दूसरे दिन वापस करना और ऐसे अनेक बातें थी जिसके कारण सब्जी मंडी में हर कोई उन्हें पहचानता था, अपने दुकान पर बुलाता था लेकिन वह अपने दुकान पर आए ऐसी इच्छा किसी की भी नहीं होती थी।

प्रश्न 5.) रेलगाड़ी में लेखक को किस प्रकार के अनुभव का सामना करना पड़ा?

उत्तर – एक तो रेलगाड़ी में बहुत भीड़ थी और ऊपर से हाथ में गोभी की थैली । इसीलिए लेखक बहुत परेशान हो गए थे। उन्हें रेलगाड़ी में परेशानियों का सामना करना पड़ा।

प्रश्न 6.) लेखक के द्वारा लाए गए गोभी के फूल की तुलना हारे हुए उम्मीदवार से क्यों की गई होगी?

उत्तर — लेखक के द्वारा जो गोभी के फूल लाए गए थे वह इलाहाबाद स्टेशन तक आते-आते मुरझा गए थे। रेल में बहुत ज्यादा भीड़ होने की वजह से गोभी के फूल बहुत सारे लोगों की लाते खा चुके थे। कोई कहता इधर मत रखो उधर रखो तो कोई कहता बेंच के नीचे रखो तो कोई कहता के ऊपर ले जाओ ना। इसीलिए लेखक ने गोभी के फूल की तुलना हारे हुए उम्मीदवार से की है।

प्रश्न- 7) बाज़ार के सभी सब्जीवाले बाबू हनुमान प्रसाद को क्यों पहचानते थे ? 

उत्तर-  बाज़ार के सभी सब्जीवाले बाबू हनुमान प्रसाद को इसलिए पहचानते थे, क्योंकि घर की साग-सब्ज़ी वे ही बाज़ार से ख़रीदकर लाते थे हरे धनिए की गड्डी मुफ़्त में माँगना, शलजम के पत्ते तुड़वाकर तुलवाने का आग्रह करना, अरवी धुलवाकर मिट्टी हटाकर लेना, आलू छाँटकर चढ़वाना आदि अनेक ऐसी बातें हैं, जिनके कारण सब्जीमंडी का हर व्यक्ति उन्हें पहचानता था l 

प्रश्न-8) गोभी का झाबा डिब्बे के अंदर कैसे लाया गया ?

 उत्तर-  प्रस्तुत पाठ के अनुसार, गोभी का झाबा एक साथ डिब्बे के अंदर नहीं लाया गया ४ गोभी के फूल धीरे-धीरे करके अंदर लाए गए बल्कि इसी भाग-दौड़ में दो फूल प्लेटफार्म से खिसककर डिब्बे के नीचे गिर गए l 

प्रश्न- 9) लेखक कुली पर क्यों बिगड़ा ? 

उत्तर- लेखक कुली पर इसलिए बिगड़ा क्योंकि कुली झाबा (टोकरी) के फूलगोभी को डिब्बे के अंदर ले जाने में मदद किया था, जिसका मेहनताना माँग रहा था और लेखक प्लेटफार्म पर गिरे दो फूलगोभी का हिसाब माँग रहा था l

प्रश्न-10) इलाहाबाद स्टेशन आने तक गोभी के फूलों की क्या दशा हो गई थी ?

 उत्तर- इलाहाबाद स्टेशन आने तक गोभी के फूलों की दशा बहुत खराब हो चुकी थी. फूल पहचान में भी नहीं आ रहे थे l 

प्रश्न-11 – पाठ के आधार पर लेखक का चरित्र-चित्रण कीजिए l

उत्तर- पाठ के आधार पर लेखक का चरित्र चित्रण निम्न प्रकार है – 

  • लेखक समय का पालन करने वाले व्यक्ति हैं l
  • लेखक अपने वचन के पालन के लिए प्रतिबद्ध हैं ,  उन्होंने बाबू हनुमान प्रसाद को दिए वचन का पालन किया था क्योंकि उन्होंने अपने पैसे लगाकर गोभी के फूल ख़रीदे थे l 
  • लेखक थोड़ा संकोची व्यक्ति थे, क्योंकि वे गोभी के झाबे के साथ सफ़र

करने में संकोच करते थेl 

  •  वे परिस्थितियों के अनुकूल काम करने में विश्वास किया करते थे, क्योंकि उन्होंने डिब्बे में विपरीत परिस्थिति होने के बावजूद भी गोभी के झाले का ख्याल रखा l
  •  लेखक थोड़ा क्रोधी प्रवृति के व्यक्ति हैं, क्योंकि गोभी प्लेटफार्म पर गिर जाने की वजह से उन्होंने कुली पर गुस्सा भी किया था l 

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(क्रोधी प्रवृति के व्यक्ति – Angry person)

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प्रश्न- 12- नीचे लिखे शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिए|

 •मर्ज़- रोग, बीमारी

• मित्र – दोस्त, साथी

• फूल पुष्प, सुमन

 •हया – शर्म, लज्जा

• प्रयत्न – प्रयास, कोशिश

• हिम्मत – साहस, बहादुरी

गोभी का फूल कहानी का सारांश

गोभी का फुल एक व्यंग्यात्मक कहानी है जिसमें हमें यह बताया जाता है कि अपने लाभ के लिए कुछ लोग दूसरों को किस हद तक  मुसीबत में डाल सकते हैंl  इस कहानी में लेखक इसी तरह की एक घटना का जिक्र करते हैं जिसमें लेखक स्वयं उस मुसीबत में फंस जाते हैंl

इस कहानी में एक किरदार जो कि बाबू हनुमान प्रसाद जी हैं जिनके बारे में यह बताया गया है कि वह किस हद तक स्वार्थी हैं l आगे लेखक बताते हैं कि किस तरह जब बाबू हनुमान प्रसाद बाजार जाते हैं तो भले ही बाजार के लोग उन्हें न जानते हों लेकिन बाजार का हर एक विक्रेता उन्हें भली-भांति जानता था l इसके कई कारण है जैसे सभी सब्जी वालों से मुफ्त की धनिया- मिर्च आदि लेना एवं सभी से बहुत ही तोल मोल करके सामान खरीदना और कभी-कभी तो ऐसा भी हो जाता था की विक्रेता स्वयं यह समझ नहीं पाता था कि उसने बाबू हनुमान प्रसाद जी को सामान बेचकर लाभ किया या खुद घाटे में रहा l  कहानी में असल घटना लेखक के साथ घटी l वह बताते हैं कि जब उन्हें एक बार लखनऊ के लिए जाना था और यह बात जब हनुमान प्रसाद जी को पता चली तो उन्होंने बेझिझक लेखक को गोभी लाने के लिए कहा एवं साथ ही गोभी का सारा ज्ञान विज्ञान उन्हें बता दिया l लेखक उन्हें मना नहीं कर सके और वे गोभी लाने के लिए राजी हो गए l लेखक का लखनऊ यात्रा के दौरान उन्हें गोभी खरीदने के लिए बहुत कुछ झेलना पड़ा गोभी का बड़ा झावा को ट्रेन से लाने के लिए उन्हें बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा अंत में भीड़ की अधिकता के कारण गोभी का झावा  पैरों तले कुचला गया और सारे  गोभी खराब हो गए I अंत में लेखक को  गोभी खरीद कर बाबू हनुमान प्रसाद जी को देने पड़े

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