श्री राम की बाल लीला Class 8 Question – Answer
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
(क) राम अपने भाइयों के साथ कहाँ खेल रहे हैं?
उत्तर – राम अपने भाइयों के साथ घर के आँगन में खेल रहे हैं I
ख) छोटे-छोटे सुंदर दाँतों की पंक्ति की तुलना कवि ने किसके साथ की है?
उत्तर – छोटे-छोटे सुंदर दाँतों की पंक्ति की तुलना कवि ने कुंदकली के साथ की है।
ग) बालकों की मीठी बोली सुनकर कवि की क्या स्थिति होती है?
उत्तर- बालकों की मीठी बोली सुनकर कवि का हृदय आनंदविभोर हो जाता है और वे अपने प्राणों को न्योछावर करने को तैयार हो जाते है।
(घ) महाकवि तुलसीदास क्या चाहते हैं?
उत्तर- महाकवि तुलसीदास चाहते हैं कि श्रीराम जी अपने बाकी तीनों भाइयों सहित उनके मन मंदिर में सदा विराजमान रहें।
(घ) कवि के अनुसार संसार में जीवन जीने का सच्चा फल कौन प्राप्त करता है?
उत्तर – कवि के अनुसार संसार में जीवन जीने का सच्चा फुल वही व्यक्ति प्राप्त करता है, जिसने श्रीराम को अपने मन-मंदिर में बसा लिया है।
(च) बालकों के हँसने पर कवि को कैसा प्रतीत होता है?
उत्तर – बालकों के हँसने पर कवि को प्रतीत होता है – मानो कमल खिल गए हों।
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(क) राजा दशरथ के आँगन में बच्चे कौन-कौन से खेल किस प्रकार खेल रहे हैं?
उत्तर – राजा दशरथ के आँगन में राम, लक्ष्मण, भरत तथा – शत्रुघ्न, चारों बालक ताली बजाकर, उछल-उछलकर नाच रहे हैं, ठुमक रहे हैं तथा माताओं को मुदित कर रहे हैं।
वे कभी चंद्रमा को पाने की ज़िद करते हैं, कभी नाराज़ होते हैं, कभी हठ करते हैं, तो कभी अपना प्रतिबिंब निहार कर ही डर रहे हैं। इस प्रकार वे अनेक खेल खेल रहे हैं।
(ख) श्रीराम के मुख मंडल के सौंदर्य का वर्णन कवि ने किस प्रकार किया है?
उत्तर- श्रीराम के मुख-मंडल के सौंदर्य का वर्णन करते हुए तुलसीदास जी कहते हैं कि जैसे बादलों में बिजली चमकती है, वैसे ही श्रीराम के मुख खोलने पर दाँतों की कांति दिखाई देती है।
उनके मुख पर घुँघराले बालों की लटें लटक रही हैं और कुंडल उनके कपोलों (गालों) को स्पर्श करते हुए सुंदर दिखाई दे रहे हैं। उनके मुख पर आँखें ऐसी लग रही हैं, जैसे भौरे कमल से पराग रस पी रहे हों।
(ग) राजा दशरथ की गोद में श्रीराम किस प्रकार सुशोभित हो रहे हैं?
उत्तर- राजा दशरथ की गोद में बैठे हुए शिशु श्रीराम पीले वस्त्र पहने हुए हैं। उनके पैरों में नूपुर हैं। हाथों में आभूषण तथा गले में मोतियों की माला है। उनका मुख कमल की भाँति सुशोभित हो रहा है। पिता दशरथ के मन की प्रसन्नता उनके मुखमंडल पर झलक रही है।
(घ) श्रीराम के श्यामल वर्ण की सुंदरता का वर्णन करते हुए कवि क्या कहते हैं?
उत्तर – श्रीराम के श्यामल वर्ण की सुंदरता का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि श्यामल शरीर की कांति बादलों के समान है। जब वे हँसते हैं, तो उनके दाँतों की चमक ऐसे लगती है मानो बादलों के बीच बिजली चमक रही हो ।
यद्यपि उनका श्यामल शरीर धूल से भरा है, फिर भी उनकी सुंदरता कामदेव के सौंदर्य को मात कर रही है।
(ङ) सामान्य बालकों के समान श्रीराम को भाइयों के साथ खेलते देख माताओं का जीवन किस प्रकार धन्य हो गया ।
उत्तर – सामान्य बालकों के समान श्रीराम को भाइयों के स्लोथ खेलते देख माताओं का जीवन इसलिए धन्य हो गया, क्योंकि वे चारों भाई आपस में प्रेमपूर्वक खेल रहे हैं और बहुत खुश हैं। ऐसा ही तो हर माँ चाहती है कि उसके सभी बच्चे आपस में मिलकर रहें और उनमें परस्पर प्रेम बना रहे। वे सभी एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें तथा सुखमय जीवन बिताएँ। चारों बालकों का आपसी स्नेह माताओं के दिल को सुख पहुँचा रहा है।
श्रीराम की बाल लीला व्याख्या , भावार्थ
तुलसीदास जी की यह कविता श्रीराम के बाल-स्वरूप का अद्भुत वर्णन करती है। बालक राम की मासूमियत, उनकी क्रीड़ाएं और उनके सुंदर स्वरूप को देखकर हर किसी का मन प्रसन्न हो जाता है। यह कविता श्रीराम की बाल-लीलाओं के माध्यम से भक्ति और प्रेम का संदेश देती है। श्रीराम का बाल-स्वरूप इतना मनोहारी और पवित्र है कि इसे देखकर हर किसी के मन में शांति और आनंद का संचार होता है।
तुलसीदास जी ने श्रीराम के बाल-स्वरूप का वर्णन करते समय उनके हर छोटे-छोटे कार्यों को सुंदरता से प्रस्तुत किया है। उनकी काव्य भाषा सरल और मनोहारी है, जिससे पाठक आसानी से भाव विभोर हो जाते हैं। तुलसीदास जी ने श्रीराम के बाल-स्वरूप में निहित भक्ति और प्रेम का अद्वितीय चित्रण किया है, जो उनके काव्य की विशेषता है। उनका यह वर्णन केवल बालक श्रीराम की लीलाओं का वर्णन नहीं है, बल्कि यह भक्ति और प्रेम का संदेश भी है, जो हर किसी के मन को शांति और आनंद से भर देता है।
तुलसीदास जी की यह कविता हमें श्रीराम के बाल-स्वरूप के अद्भुत और मनमोहक चित्रण से भक्ति और प्रेम का अद्वितीय अनुभव कराती है। उनकी कविता में बालक श्रीराम की मासूमियत, उनकी क्रीड़ाएं और उनकी सुंदरता का वर्णन इतने सरल और सुंदर शब्दों में किया गया है कि इसे पढ़कर हर किसी का मन प्रसन्न हो जाता है। यह कविता न केवल भगवान राम की बाल-लीलाओं का वर्णन करती है, बल्कि हमें भक्ति और प्रेम का संदेश भी देती है।
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